Accidents can be prevented by taking strict action against minor drivers

Editorial: नाबालिग चालकों पर सख्त कार्रवाई से रुक सकेंगे हादसे

Edit3

Accidents can be prevented by taking strict action against minor drivers

Accidents can be prevented by taking strict action against minor drivers: पंजाब सरकार का यह निर्णय बिल्कुल सही है कि राज्य में अब नाबालिग वाहन चालकों पर सख्ती बढ़ा गई है। सरकार ने अब तय किया है कि नाबालिग के द्वारा वाहन चलाते पकड़े जाने पर माता-पिता पर कार्रवाई होगी। इसके तहत परिजनों को तीन साल की जेल और 25 हजार रुपये जुर्माना हो सकता है। वहीं जिस वाहन को नाबालिग चला रहा था, उसका रजिस्ट्रेशन साल भर के लिए निलंबित कर दिया जाएगा।

यह भी कार्रवाई होगी जो नाबालिग वाहन चलाते पकड़ा गया, उसका ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं बन सकेगा और यह केवल 25 साल की उम्र में जाकर ही बनेगा। यानी सरकार ने ऐसे माता-पिता और उनकी नाबालिग संतानों को सुधारने का पूरा इंतजाम कर लिया है, जोकि वाहनों को लेकर सडक़ पर होते हैं, अपने लिए जोखिम बनते हैं और दूसरों की जान के लिए भी संकट खड़ा करते हैं। बेशक, बहुत से लोग यह कहेंगे कि यह सब बेहद सख्त है और इसमें नरमी बरती जानी चाहिए। हालांकि अब पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका है और सरकार अगर सख्ती नहीं बरतेगी तो बहुत देर हो चुकी होगी।

आंकड़ों के अनुसार पंजाब में सालभर में पांच हजार के करीब लोगों की मौत सडक़ हादसों में ऐसे ही कारणों से हो जाती है। गौरतलब है कि मुंबई का वह मामला हाल फिलहाल का ही है, जब एक नाबालिग ने पोर्श गाड़ी चलाते हुए दो युवाओं को कुचल कर मार दिया था। इसके बाद से देशभर में ऐसे कानून की जरूरत समझी जा रही है, जिससे नाबालिगों को वाहनों की चाबी देने से पहले माता-पिता अनेक बार सोचें।

गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने राज्य में सडक़ हादसों को रोकने के लिए सडक़ सुरक्षा फोर्स नाम से एक संगठन भी बनाया है। इस फोर्स का काम हाईवे पर हुए हादसों में घायल लोगों की मदद करना  और उन्हें मेडिकल सहायता मुहैया कराना है। यह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय विचार था, जिसे धरातल पर उतारा गया है। एक राज्य सरकार का दायित्व है कि वह अपने नागरिकों की बेहतरी और उनके कल्याण के लिए काम करे। इस समय पंजाब की सडक़ों पर हादसे लगातार बढ़ रहे हैं और उनकी रोकथाम के लिए काम किए जाने की जरूरत है। सबसे बढक़र आज यातायात सुरक्षा के लिए काम किए जाने की आवश्यकता है। पंजाब मेंं सडक़ों पर दोपहिया चलाने वाले चालकों को हेलमेट पहनना बिल्कुल भी जरूरी नहीं लगता है।

पंजाब वह पहला राज्य होगा जोकि इस प्रकार के कदम उठा रहा है। पंजाब सरकार की ओर से राइट टू वॉक की अवधारणा को भी लागू किया जा रहा है। पंजाब में इस समय किसी पुल, ओवर ब्रिज, सडक़, हाईवे के किनारे न तो यथोचित तरीके से पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनते हैं, न ही साइकिल ट्रैक के लिए व्यवस्था होती है। होता यह भी है कि टू व्हीलर चालक भी उसी रोड से गुजर रहे होते हैं, जहां से भारी वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। अनेक बार तो लगता है कि सडक़ सिर्फ भारी वाहनों के लिए बनाई जाती है, क्योंकि उस पर कहीं पैदलगामी या फिर साइकिल या फिर टू व्हीलर चालकों के लिए प्रयोजन होता है। बेशक टू-व्हीलर चालकों के लिए भी सडक़ के एकतरफ मार्किंग कर दी जाए और उसी निर्धारित जगह में ड्राइव करने को कहा जाए तो इससे हादसे कम होंगे।

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार की ओर से अनेक कल्याणकारी कदम जनता के लिए उठाए जा रहे हैं। उनमें से एक यह है। राज्य के मुख्य सचिव की ओर से सर्वोच्च न्यायालय की ओर से बीते वर्ष राइट टू वॉक के लिए जारी किए गए आदेशों को लागू कराने के लिए ट्रैफिक सलाहकार को निर्देशित किया गया है। पंजाब सरकार इस दिशा में अब यह करेगी कि भविष्य में बनने वाली नई सडक़ों और मौजूदा सडक़ों के विस्तार के समय राइट टू वॉक को ध्यान में रखकर साइकिल ट्रैक और फुटपाथ का निर्माण अनिवार्य करेगी। वास्तव में बढ़ती आबादी और बढ़ते यातायात के संसाधनों को देखते हुए यह जरूरी है कि ट्रैफिक नियमों को सख्त बनाया जाए।

हेलमेट पहनना जरूरी है, वहीं सीट बेल्ट लगाना भी आवश्यक है। इसके अलावा ट्रैफिक लाइट्स, स्पीड और यातायात के सभी नियमों का पालन जरूरी है। हो यह भी रहा है कि इन बातों को बेहद सामान्य समझा जाता है, हालांकि इन मामलों में लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि नियमों का पालन कराया जाए। पंजाब पुलिस के पास अब इसकी जिम्मेदारी है कि वह नाबालिग वाहन चालकों की पहचान करे और उन पर कार्रवाई सुनिश्चित हो। यह एक बार आदत बन गई तो फिर काफी कुछ सुधर जाएगा। 

यह भी पढ़ें:

Editorial: जल प्रलय से हालात बेकाबू, क्या इसका कोई समाधान है

Editorial:संसद में सांसदों की पीठासीन अधिकारी से तकरार दुर्भाग्यपूर्ण

Editorial: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की चुनौती है, लोकतंत्र को जीवित करना